Raushan

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लेखनी प्रतियोगिता -06-May-2022

जब मैं से मन हो भरा हुआ,और मै ही मन में राज करे

तो मन में मै ही मै रहे,फिर प्रभु कहां विराज करे।

सब काम जब निष्काम बने,और निश्छल सब प्रयास करे

तब हो आरंभ नई सृष्टि का,हर देश तभी विकास करे।

नहीं कोई अटल सत्य है ,जब तक ना सत्य हृदय में वास करे

तेरे मुख पर तेरे है हम और पीठ पे तेरे वार करे

कह गए कबीर और रहीम जो संत 

आओ वहीं सब काज करे

है वसुधैव वाला अपना ये देश,इससे फिर क्यों उपहास करे।

है विचित्र छबि और काया कुंठित

मुख उजियारा ,मन काला है

मैं के मैले सागर से ,परिपूर्ण मन का हाला है

और सबसे महान हम तुम है,

जिन्होंने ऐसे को पाला है

तुम सच्चे हो ,तुम ही अच्छे हो कि

पहनाई खुशी से माला है।

ऐसे ही चलता है ,ये संसार अजब निराला है

इस उक्ति की सिद्धि पर अब कौन 

भला विलाप करे

जब मै से मन हो भरा हुआ,और मै ही मन में राज करे।

तो मन में मै ही मै रहे,फिर प्रभु कहां विराज करे।

💐रौशन

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27 Comments

Dr. Arpita Agrawal

03-Jun-2022 08:57 AM

बेहतरीन 👌👌

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Shnaya

09-May-2022 06:26 PM

Nice 👍🏼

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Reyaan

09-May-2022 05:04 PM

Very nice 👍🏼

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